किसान मसीहा दीनबंधु सर छोटूराम जी की जयंती पर प्रधानमंत्री भारत सरकार श्री नरेंद्र मोदी जी से देश के किसानों के लिए किसान आयोग के गठन की अपील: चौधरी के पी सिंह ठैनुआं
मैं चौधरी के पी सिंह ठैनुआं किसान मसीहा दीनबंधु सर छोटूराम जी के आदर्शों से बहुत प्रभावित हूं, क्योंकि मुझे भी गांव किसान की समृद्धि के लिए संघर्षरत रहने की प्रेरणा उनके जीवन से मिली, क्योंकि मैंने बचपन में किसान परिवार की आर्थिक तंगी को बड़ी करीबी से देखा है। आज भारत जब विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बड़ी होने की तरफ अग्रसर है , वहां किसान आज आर्थिक असमानता का शिकार होता जा रहा है। किसान मसीहा दीनबंधु सर छोटूराम जी का जन्म हरियाणा के रोहतक के छोटे से गांव के जाट किसान परिवार में हुआ, उन्होंने अपने पिता जी को उनकी पढ़ाई के लिए साहूकार से कर्ज के लिए अपमानित होते हुए देखा, यहीं से उन्होंने अपना जीवन गांव किसान के हितों के लिए समर्पित कर दिया और अंग्रेजों के शासनकाल में किसान मजदूरों की आवाज बुलंद की और किसानों के लिए उस समय की सरकार द्वारा किसान विरोधी कानूनों में परिवर्तन के लिए पराधीन भारत की सरकार से संघर्ष किया और सफल हुए। सर छोटूराम जी की शिक्षा उनकी ताकत बनी और वह अपने वेतन का बड़ा हिस्सा शिक्षण संस्थानों में दे दिया करते थे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में 22 हजार युवाओं को फौज में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था। सर छोटूराम जी का कहना था कि " जब आम लोग नाराज़ होते हैं तो कानून तोड़ते हैं, लेकिन किसान नाराज होगा तो सरकार की पीठ तोड़ने का कार्य करेगा" व साथ ही कहते थे कि हे भोले-भाले किसान तू अपने दुश्मन को पहचानना सीख ले बस।
कृषि भारत की मातृ शक्ति है, इसलिए भारत को कृषि प्रधान देश की संज्ञा दी जाती है। हम विश्व में कई विषयों कृषि के क्षेत्र में निम्न से सर्वोच्च पायदान पर हैं, लेकिन आज भी भारत कुपोषण में विश्व की हंगर इंडेक्स में 111 वें पायदान पर हैं। सर छोटूराम जी कहते हैं कि किसान को सब देवता अन्नदाता कहते हैं, लेकिन लोग ये नहीं समझते हैं कि किसान अन्न उगाने के साथ अन्न खाता भी है। किसान के लिए पराधीन भारत में दीनबंधु सर छोटूराम जी बेजोड़ संघर्ष किया था, लेकिन स्वतंत्र भारत में किसान के हालात आज भी आर्थिक असमानता का शिकार हैं, हम चाहते हैं कि किसान के हितों को सुरक्षित रखने के लिए देश में किसान आयोग का गठन हो, देश में सबके आयोग हैं, लेकिन किसान आयोग नहीं है। आज भी 2006 में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद भी किसानों को उनके फसल की लागत का ढेड़ गुना लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा। आज मैं कहूंगा कि सबसे बड़ी चिन्ता का विषय है कि देश में 80% से ज्यादा लघु किसान हैं, कुछ भूमिहीन किसान हैं, खेतिहर मजदूर हैं, आज सरकार द्वारा उनके परिवारों को किसान आयोग का गठन कर विश्लेषण के आधार पर कल्याणकारी योजनाओं की अति आवश्यकता है। किसान को छोटे छोटे मुद्दों पर आये दिन धरना प्रदर्शन आन्दोलन करने पड़ते हैं, अगर देश में किसान आयोग होगा तो किसानों की राय से हितकारी फैसले हो सकते हैं। अतः मैं दीनबंधु सर छोटूराम जी की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन कर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री भारत सरकार श्री नरेंद्र मोदी जी से निवेदन करता हूं कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले किसान आयोग का गठन करें। हमारे देश के किसान इस देश की अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देंगे।
जय जवान जय किसान।
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