मुद्दा जो भी हो #राष्ट्रीय #सुरक्षा और #स्वाभिमान से बड़ा नहीं हो सकता !
मेरा यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को लेकर है, देश पर जब जब कोई संकट आया, जनता और सरकार ने अपना स्वाभिमान और सुरक्षा के लिए सामंजस्य बिठाया! इसी वजह से हम देश के सामने आई हर चुनौती से मिलकर लड़े और जीत भी हासिल की! पिछले लगभग 3 महीनों से दिल्ली के चारों ओर अन्नदाता अपने अधिकारों के संघर्ष के लिए आया था, सरकार से अपनी बात कहने और वार्ता अच्छे सकारात्मक दिशा में आगे भी बढ़ती दिख रही थी! यह हमारे देश का आंतरिक मामला था और संविधान में दिये अधिकार के अनुसार अन्नदाता को आवाज उठाने का अवसर भी मिला! माना कि कानून गलत थे और यह भी किसी से नहीं छुपा है कि वैश्विक नीतियों के दवाब के चलते सरकारों ने किसान और मजदूर को आर्थिक असमानता की तरफ से धकेल दिया है! मेरा यह विचार किसी के पक्ष में नहीं है यहां सरकारों और किसान नेताओं से अपने आंतरिक मामलों में सुलह के लिए निवेदन है, क्योंकि समाधान एक पक्ष के बारे में ही सुनने से नहीं होगा या बड़ी बात हमको जानना चाहिए कि कहीं भी सुलह का रास्ता खुलता है तो दोनों पक्षों को कुछ बिंदुओं पर तो सहमति बनानी होगी या पीछे हटना पड़ेगा, जिससे अन्नदाता के मंच